छत्तीसगढ की अनोखी संस्कृति। Tribal community and culture of Chhattisgarh

छत्तीसगढ की अनोखी संस्कृति: 

छत्तीसगढ राज्य के प्रत्येक क्षेत्र में लगभग 93 बोलियाँ या भाषाएँ बोली जाती हैं। भाषाओं के अलावा राज्य के विभिन्न जनजातीय क्षेत्रों में कई स्थानीय बोलियाँ भी बोली जाती हैं। छत्तीसगढ़ में हिंदी, उड़िया और मराठी का भी आमतौर पर उपयोग किया जाता है। छत्तीसगढ़ी यह सबसे अधिक बोली जाती है।

यदि आप छत्तीसगढ़ की संस्कृति के बारे में जानना चाहते हैं, तो आपको राज्य की भाषा, रहन-सहन की संस्कृति, व्यवसाय और सामाजिक जीवन के अन्य कारकों जैसे विवरणों को समझना होगा। भाषा छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ में हिंदी भाषा की स्थानीय बोली है

छत्तीसगढ़ी संस्कृति में लोग हर उत्सव को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं और मदिरा पान भी करते है। विभिन्न मेले और त्योहार जो इस राज्य के पर्याय हैं, वे हैं भगोरिया महोत्सव, भोरमदेव महोत्सव, चक्रधर महोत्सव, दशहरा महोत्सव, गोंचा महोत्सव, हरियाली कोरा नवाखाई, कजरी महोत्सव, मड़ई महोत्सव, नारायणपुर मेला, राजिम लोचन महोत्सव और शेरीनारायण मेला। कला और शिल्प छत्तीसगढ़ की कला और शिल्प वास्तव में इसके कारीगरों की निपुणता का प्रतिनिधित्व करते हैं। 



यहाँ की सुंदर संग्रहालयों में अद्भुत लकड़ी की नक्काशी, बांस का फर्नीचर, धातु हस्तशिल्प शामिल हैं, टेराकोटा की आकृतियाँ, आदिवासी आभूषण पेंटिंग और मिट्टी के टुकड़े राज्य की कुछ विशेषताएँ हैं। सबसे मंत्रमुग्ध करने वाला प्रामाणिक हस्तशिल्प है। छत्तीसगढ़ कला और शिल्प के प्राचीन और परिष्कृत स्वरूप को देखने का स्थान है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति वास्तव में इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। छत्तीसगढ़ की अपनी नृत्य शैलियाँ, व्यंजन और संगीत भी हैं। 

पंडवानी छत्तीसगढ़ का वह एकल नाट्य है, जिसके बारे में दूसरे देश के लोग भी जानकारी रखते हैं। तीजन बाई ने पंडवानी को आज के संदर्भ में ख्याति दिलाई, न सिर्फ हमारे देश में, बल्कि विदेशों में भी ये प्रसिद्ध मानी जाती है। लोग बहुत दूर दराज से छत्तीसगढ में आके रहने लगते है और अक्सर गर्मियों में यह मेले का आयोजन भी होता है। यहां रायगढ़ में भी छर्राटांगर में विशाल मेले का आयोजन प्रतिवर्ष होता ही है। 

पंडवानी का अर्थ है पांडववाणी :

अर्थात पांडव के बारे में छत्तीसगढ़ी कथा महाभारत की कथा। पंडवानी छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से प्रदर्शन किया जाने वाला लोक गाथागीत है। यह महाकाव्य महाभारत के प्रमुख पात्र पांडवों की कहानी दर्शाता है। यह एक बहुत ही जीवंत रूप में वर्णित किया जाता है, जो दर्शकों के मन में दृश्यों का निर्माण करता है। परंपरागत रूप से यह पुरुष कलाकारों के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है किंतु हाल के दिनों में महिला कलाकारों को इस कला को प्रदर्शित करते हुए देखा जा सकता है।

महाभारत का संगीतमय वर्णन पंडवानी, "राउत नाचा" (ग्वालों का लोक नृत्य) और पंथी और सूवा नृत्य शैलियाँ इस क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय हैं। इस नृत्य शैली में योगदान के लिए पंडवानी कलाकार तीजन बाई को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं। महिलाएं भी करधनी के साथ साड़ी पहनती हैं। ग्रामीण इलाकों में महिलाएं एक रुपये के सिक्कों से बनी माला पहनती हैं। आजकल ये आभूषण चलन से बाहर हो गए हैं। पसंदीदा समय बिताने के लिए लोग अधिकतर भाषा से हास्य पैदा करना पसंद करते हैं। हास्य नाटक बहुत लोकप्रिय हैं और देखने लायक हैं। लोग नए चलन और जीवन शैली को अपनाना पसंद करते हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति बहुसांस्कृतिक है क्योंकि दुनिया भर से लोग इस क्षेत्र में आए और बस गए हैं। छत्तीसगढ़ी लोग अपनी सादगी और अनुकूलनशीलता के लिए भी जाने जाते हैं जो छत्तीसगढ़ की वास्तविक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। पंडवानी में वर्णन की दो शैलियों हैं; वेदमती और कपालिक। वेदमती शैली में मुख्य कलाकार पूरे प्रदर्शन में बैठकर सरल तरीके से वर्णन करता है। जबकि कपलिक शैली जीवंत शैली है, जिसमें मुख्‍य कलाकार गााथा के पात्रों एवं दृश्‍यों का अभिनय के द्वारा सजृन करता है।


पंडवानी लोकगाथा गीत प्रदर्शन में एक मुख्‍य कलाकार होता है और उसके साथ कुछ सहयोगी गायक एवं संगीतकार शामिल होते है। मुख्य कलाकार महाकाव्य के एक गााथा के बाद दूसरे गााथा का क्रमबद्ध रुप से एक बहुत ही शक्तिशाली तरीके से वर्णन करता है। वह यथार्थवादी प्रभाव पैदा करने के लिए दृश्यों में पात्रों का अभिनय भी करता है जो कभी-कभी एक नृत्य नाटक में बदल जाता है। प्रदर्शन के दौरान वह अपने हाथ लिये एकतारा से निकलने वाली संगीत के लय के साथ गीत गाता भी जाता है और यह अत्यंत मनमोहक नजारा होता है।

 

दोस्तो यह था कुछ छत्तीसगढ़ की संस्कृति को उजागर करने वाली पंडवानी लोकगाथा, यदि आपके पास भी छत्तीसगढ़ से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी हो तो हमारे कॉन्टैक्ट में दिए ई मेल के मध्यम से भेज सकते है। धन्यवाद!

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